मुंबई- आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी की अगुवाई में बन रहे महागठबंधन में फूट के संकेत मिल रहे हैं। लोकतांत्रिक जनता दल के प्रदेशाध्यक्ष व विधायक कपिल पाटिल ने मित्र दलों को सिर्फ तीन सीट दिए जाने पर नाराजगी जताई है।
पाटिल ने इस संबंध में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हाण और एनसीपी नेता अजित पवार को पत्र लिखा है।पाटिल के मुताबिक भारिप बहुजन महासंघ के प्रकाश आंबेडकर व स्वाभिमान शेतकरी पक्ष के राजू शेट्टी के लिए एक-एक सीट छोड़ने के अलावा विधानसभा चुनाव में मित्र दलों के लिए सीट देने के वादे से यह गठबंधन पर निर्णय हो गया है, .तो यह वास्तविकता से काफी दूर है। प्रकाश आंबेडकर राज्य के 40 से 50 प्रतिशत वंचित लोगों का प्रतिनिधितित्व करते हैं। अगर इतने लोग एजेंडे में नहीं है, तो आंबेडकर से इस संबंध में कैसे चर्चा करेंगे। क्या महागठबंधन में मुस्लिमों व सॉफ्ट हिंदुत्व को लेकर उनके साथ राजनीतिक भेदभाव किया जा रहा है। पाटिल ने कहा कि राजू शेट्टी को हातकणंगले तक सीमित नहीं रहना होगा। उन्हें किसानों को फसल का डेढ़ गुना भाव दिलाने के लिए संपूर्ण कर्जमुक्ति के लिए अपनी योजना को स्पष्ट करने की जरुरत है।
पाटिल ने शिक्षा के कथित भगवाकरण को लेकर भी आघाड़ी को अपनी भूमिका स्पष्ट करने को कहा है। उन्होंने कहा कि निजी युनिवर्सिटी में गरीब छात्रों को प्रवेश नहीं मिलने के अलावा शिक्षा का बाजारीकरण एक अहम मुद्दा है। इसके अलावा सरकारी विभाग में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के साथ भेदभाव हो रहा है। पाटिल ने कहा कि यह मामला विक्रमादित्य राजा के पीठ पर बैठ कर बेताल की तरह सवाल पूछने का नहीं है। राज्य की जनता इन मुद्दों पर आघाड़ी का पक्ष जानना चाहती है।
पाटिल ने लिखा है कि सूखे के मुद्दे पर सदन में व्यापक चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि एनसीपी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार के बाद विलासराव देसमुख व छगन भुजबल कई मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाते थे। परंतु विपक्ष सरकार के खिलाफ मुद्दों को उतने आक्रामक तरीके से नहीं उठा पा रहा है। सदन में बेरोजगारी, भीमा–कोरेगांव हिंसा, मुस्लिम व धनगर आरक्षण समेत कई मुद्दों पर चर्चा के दौरान जवाब नहीं मिला। हमें विचार करना होगा कि विपक्ष इन मुद्दों को किस तरह असरदार तरीके से उठा सकता है।