मुंबई – महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल (एसटी) के 110 कर्मचारियों ने इच्छामृत्यू की मांग कर के पूरे प्रदेश को सकते में ला दिया। इन कर्मचारियों ने इस संबंध में राज्यपाल सी. विद्यासागर राव और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा है और उन्हें स्वेच्छा से मृत्यू स्वीकारने की अनुमति देने की मांग की गई है।
एसटी कर्मचारी अत्यावश्यक सेवा के दायरे में आते हैं, लेकिन वेतन बेहद कम है। इस पगार में वे अपना घर भी नहीं चला सकते। मौजूदा समय में 90 फीसदी कर्मचारी कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। बार-बार निवेदन देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही।
सभी औरंगाबाद के ‘कन्नड एसटी बस डिपो’ के चिकलठाना मध्यवर्ती कार्यशाला के कमर्चारी हैं। कर्मचारियों ने कार्यशाला के प्रबंधक को भी अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा है। दरअसल कर्मचारियों का एसटी महामंडल को राज्य सरकार में समाहित करने पर कड़ा विरोध है। साथ ही करार पद्धधति को रद्द कर, आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन देने के अलावा कुछ अन्य मांगें हैं। कर्मचारियों ने अपने ज्ञापन में लिखा है एक वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया है। परंतु सरकार की ओर से कोई प्रतिसाद नहीं मिल रहा है। एसटी कर्मी अब थक चुके हैं।
एसटी कर्मचारी अत्यावश्यक सेवा के दायरे में आते हैं, लेकिन वेतन बेहद कम है। इस पगार में वे अपना घर भी नहीं चला सकते। मौजूदा समय में 90 फीसदी कर्मचारी कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। बार-बार निवेदन देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही। कर्मचारी से जुड़े संगठन भी उन्हें न्याय दिला पाने में असफल साबित हो रहे हैं। कर्मचारी मानसिक और वित्तीय स्तर पर कमजोर हो गए हैं। लिहाजा उन्हें इच्छामृत्यू की अनुमति प्रदान की जाए। इस ज्ञापन के साथ 110 कर्मचारियों के हस्ताक्षरवाला पत्र जोड़ा गया है।